वर्तमान समय में कीटो, ग्लूटन फ्री, विगन, जनरल मोटर्स, पालियो जैसे ढेर सारे डाइट प्लान मौजूद है, जिनको लोग अपना रहे हैं | इंटरमिटेंट फास्टिंग यानी दिन
आज मोटापा पूरी दुनिया में एक बड़ी समस्या बन चुका है शरीर का अधिक वजन होना एक प्रकार का अभिषाप है | आज के दौर में वजन कम करने के लिए कई प्रकार के डाइट प्लान उपलब्ध है | इन डाइट प्लानो के अपने-अपने फायदे हैं | आज हम उन्हीं में से कुछ डाइट प्लानो के बारे में चर्चा कर रहे हैं | किसी भी डाइट प्लान को अपनाने से पहले किन-किन जरूरी बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, आइए जानते हैं |
हालांकि वर्तमान समय में कीटो, ग्लूटन फ्री, विगन, जनरल मोटर्स, पालियो जैसे ढेर सारे डाइट प्लान मौजूद है, जिनको लोग अपना रहे हैं | "इंटरमिटेंट फास्टिंग" यानी दिन भर में कुछ घंटे बिल्कुल ना खाना भी इन दिनों युवाओं में काफी लोकप्रिय हो रहा है | अपने लिए कोई भी डाइट प्लान चुनने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि हर किसी का खानपान उसकी शारीरिक व चिकित्सकीय स्थिति, जरूरतों और इच्छा पर निर्भर करता है | वजन कम करने या बढ़ाने, फूड एलर्जी से बचने, कोलेस्ट्रोल स्तर कम करने के लिए लोग अलग-अलग खानपान को प्राथमिकता देते हैं | डाइट चाहे जैसी हो लेकिन इसमें शरीर को पूरा पोषण मिले इसका ध्यान रखना जरूरी है | कोरोना संक्रमण के कारण अधिकतर लोग घर पर हैं और इन आसान डाइट प्लान को अपना रहे हैं |
सबसे लोकप्रिय डाइट प्लान
किटोजेनिक डाइट प्लान
किटोजेनिक डाइट प्लान के अंतर्गत इसमें कार्ब कम और फैट ज्यादा होता है | यह मिर्गी जैसे कुछ विकारों में फायदेमंद मानी जाती है | इससे शरीर में ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल होने के लिए लीवर में कीटोन्स का उत्पादन होता है | इसे कीटो लो कार्ब, हाई फैट डाइट जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है | इसमें फैट 70 परसेंट, प्रोटीन 25 परसेंट और कार्ब 5% होता है | कार्ब कम होने से लीवर में कीटोन्स बनने लगते हैं, शरीर कीटो स्टेज में पहुंच जाता है | इसके बाद शरीर दूसरे स्रोत यानी फैट को जलाने लगता है, जिससे ऊर्जा मिलती है और इस प्रकार शरीर से वसा कम होने लगता है |
किटोजेनिक डाइट प्लान के लाभ एवं नुकसान
कीटोजेनिक डाइट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह वजन को जल्दी घटाने में मदद करती है | हालांकि इसका नुकसान यह है कि कार्ब कम होने से शरीर ग्लूकोज के बजाय कीटोन्स को जलाता है | कीटोन्स अवस्था में आने पर शरीर से फैट जलता है | अधिकतर लोगों में इससे सिर दर्द, शरीर की कमजोरी, चिड़चिड़ापन, गैस की शिकायत, अनपच, कब्ज, मितली और उल्टी आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें कीटो फ्लू के नाम से जाना जाता है |
जीएम डायट प्लान
जनरल मोटर्स ने अपने कर्मचारियों के लिए 1985 में एक डाइट प्लान बनाया था, जिसे जीएम डाइट कहा जाता है | यह एक हफ्ते का प्लान होता है, जिसमें खास दिन पर कुछ खास तरह की डाइट ली जाती है | इसके शुरुआती नतीजे अच्छे रहे और कर्मचारियों के मोटापे में कमी आई और उनकी कार्यक्षमता भी बढ़ी | जिएम डाइट पर रहने के साथ हर दिन व्यायाम भी जरूरी है।
- पहले दिन सिर्फ फल और पानी का सेवन किया जाता है |
- दूसरे दिन उबली सब्जियां, सलाद, पानी धी या मक्खन ले सकते हैं |
- तीसरे दिन सब्जियों-फलों का मिक्स सलाद और दिन में एक समय उबली हुई सब्जी ले सकते हैं |
- चौथे दिन फल, दूध, मिल्क शेक और सूप ले सकते हैं |
- पांचवें दिन उबली दाल, सब्जी, दही, ब्राउन राइस, मीट, अंकुरित अनाज, फल, सलाद और सूप ले सकते हैं |
- छठे दिन उबली दाल, चिकन, सूप, मौसमी फल-सब्जियां, ब्राउन राइस का सेवन किया जाता है |
- सातवें दिन सब्जियों का सलाद, फलों का जूस, ब्राउन राइस, उबली सब्जियां ली जा सकती है |
जीएम डाइट के लाभ एवं नुकसान
जीएम डाइट से लोगों को महज एक हफ्ते में वजन कम करने में सफलता मिलती है | इसमें लंबे समय तक किसी उपवास की आवश्यकता नहीं होती है | इसमें फलों व सब्जियों से मिलने वाला कार्ब और फाइबर होता है, नमक और चीनी नहीं होता, और इससे खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिलती है | लेकिन इसे आजमाते हुए यह ध्यान रखने की जरूरत है कि शरीर में पानी की कमी ना हो | आहार विशेषज्ञों का कहना है कि इसे लंबे समय तक नहीं अपनाया जा सकता | शुरुआती दिनों में इससे बाल झड़ने, त्वचा शुष्क, या सिरदर्द जैसी समस्याएं भी आ सकती हैं |
वीगन डाइट प्लान
वीगन डाइट प्लान वनस्पति आधारित डाइट है, इसमें मांस, दूग्ध उत्पाद या अंडे आदि नहीं होते हैं | अधिकतर लोग इसे वेजिटेरियन डाइट कहते हैं, इसमें दूध का सेवन नहीं किया जाता है | वीगन डाइट के अंतर्गत फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, दाल, बीजों और फलियों का सेवन किया जाता है | इसका एक लाभ यह है कि इसमें कोलेस्ट्रोल और सैचुरेटेड फैट बहुत कम होता है, लिहाजा लोग हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और ओबेसिटी से बच सकते हैं | लेकिन वीगन डाइट अपनाने वालों लोगों को अपने भोजन में प्रोटीन और विटामिन B12 का सेवन बढ़ा लेना चाहिए |
इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान
हमारे यहां उपवास की परंपरा हमेशा से रही है, लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन कम करने के उद्देश्य से की जाती है, इसमें 14 से 18 घंटे कुछ नहीं खाया जाता |इसके बाद प्रोटीन से भरपूर भोजन किया जाता है | कुछ लोग हर दूसरे दिन उपवास रखते हैं, तो कुछ लोग हफ्ते में 3 दिन और कुछ लोग एक महीने का उपवास रखते हैं | इसके अलावा वे एक दिन 25% कम कैलोरी भी लेते हैं | कुछ लोग हफ्ते में शुरू के 2 दिन उपवास रखते हैं | अधिकतर लोगों का कहना है कि इसके नतीजे वजन घटाने में बेहतर दिखे हैं, लेकिन अभी इसके नुकसानो का आकलन होना बाकी है |
पालियो डाइट प्लान
पालियो डाइट प्लान में खाने पर कोई रोक नहीं है लेकिन भोजन में भरपूर सब्जियां, फल, मीट, ड्राई फ्रूट्स लेने होते हैं | इसमें कार्बस कम होते हैं, प्रोटीन और फैटस ज्यादा | अकसर माना जाता है कि रिफाइण्ड व प्रोसेस्ड भोजन से बचना चाहिए | इसमें लोग चीनी खाना छोड़ देते हैं | प्रोटीन से पेट भरा होने का एहसास रहता है, लेकिन कई बार इससे ऊर्जा की कमी या सुस्ती महसूस होती है और कुछ लोगों में हाइपरथाइरॉएडिज्म के लक्षण दिखने लगते हैं |
डाइट प्लान चुनने में दूसरों की नकल ना करें
दूसरों से सुनकर या मोबाइल ऐप के जरिए, अपने लिए कोई भी डाइट चुनना हानिकारक हो सकता है | खानपान में उम्र, जेंडर, शारीरिक सक्रियता जैसी बहुत सी बातें हैं जो मायने रखती हैं | इसी तरह शारीरिक स्थिति जैसे डायबिटीज, उक्त रक्तचाप या मोटापे का भी ध्यान रखना जरूरी होता है | इन दिनों लोग कीटोऔर ग्लूटन फ्री डाइट के बारे में ज्यादा सवाल कर रहे हैं | अगर किसी को ग्लूटन के प्रति एलर्जी है तो उसे डाइट से गेहूं या चावल को हटाना होता है | ग्लूटन गेहूं में मौजूद प्रोटीन तत्व है, इसलिए डाइट से रोटी, गेहूं के बिस्किट, पास्ता या ब्रेड को निकाल दिया जाता है | ऐसा उनके लिए सही है, जिन्हें डॉक्टर ने यह सलाह दी है | जो लोग केवल देख वह सुनकर ऐसा करते हैं या ग्लूटेन की एलर्जी ना होने पर भी गेहूं छोड़ देते हैं, उन्हें नुकसान हो सकता है | ऐसा विशेषज्ञ मानते हैं |
डाइट प्लान चुनने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें
वजन घटाने की चाह में आनन-फानन में कोई डाइट चुनने से पहले अपना बीएमआई जरूर जांचे | शरीर के लिए संतुलित पौष्टिक भोजन बहुत जरूरी है, ताकि शरीर में किसी भी पोषक तत्वों की कमी ना रहे | शरीर के लिए मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स दोनों महत्वपूर्ण होते हैं और दोनों की अलग-अलग भूमिका होती है | इसलिए कोई भी डाइट प्लान किसी आहार विशेषज्ञ की सलाह से ही आजमाएं | यह प्लान ऐसा होना चाहिए कि लंबे समय तक इसका पालन कर सकें | अगर भोजन ना करने से दिनभर सुस्ती और भूख लगती रहे तो इस डाइट प्लान का कोई फायदा नहीं होगा | भोजन का लुफ्त और ऊर्जा दोनों ही जरूरी है | हमेशा कोई भी डाइट प्लान अपनी स्वास्थ्य जरूरतो के मुताबिक ही चुनें |
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